Reserve Bank of India (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि ब्याज दरों पर फैसला के लिए बैंक स्वतंत्र हैं। बैंक में जमा राशि और कर्ज पर ब्याज दरें नियंत्रण मुक्त कर दी गई हैं। वे अपनी ब्याज दरें तय करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस लिहाज से उन्हें ऐसे उत्पाद को लाने पर जोर देना चाहिए, जिससे जमा राशि को बढ़ाया जा सके।
आरबीआई गवर्नर ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल की 609वीं बैठक के बाद यहां आयोजित एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही। दास ने कहा कि बैंकों में नॉमिनी बढ़ाने का मसला लंबे समय से लंबित था।
लेकिन, केंद्र सरकार अब बैंकिंग कानून संशोधन बिल 2024 संसद में पेश कर बैंक अकाउंट और लॉकर में चार नॉमिनी के नाम जोड़ने की व्यवस्था की है। सरकार के इस फैसले से बैंकों में पड़ा करीब 78 हजार करोड़ रुपये का अनक्लेम्ड डिपॉजिट लोगों को वापस किया जा सकेगा। इसके साथ ही अब लॉकर को एक्सेस करने के लिए 4 लोगों को नॉमिनेट किया जा सकेगा।
शक्तिकांत दास ने कहा कि पिछले साल हमने एक विशेष अभियान शुरू किया था। इसके तहत हमने प्रत्येक बैंक को सलाह दी थी कि हर शाखा को उनके पास मौजूद दावा न किए गए जमा की गई राशियों की संख्या के आधार पर सक्रिय रूप से अपने स्तर पर आगे बढ़ना चाहिए।
इस मामले में प्रगति संतोषजनक रही है। बैंक ब्याज दरों की अस्थिरता के सवाल पर दास ने कहा कि बैंक अपनी जमा दरें तय करते हैं। वे अपनी ब्याज दरें भी तय करते हैं। यह स्थिति बैंक दर बैंक अलग-अलग हो सकती है। लेकिन मुझे लगता है कि हमारी वास्तविक ब्याज दरें बहुत अस्थिर नहीं रही हैं। वे बहुत हद तक स्थिर हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में केंद्रीय बजट पास होने के उपरांत Reserve Bank of India आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल के साथ परंपरागत तौर पर बैठक आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक में सीतारमण के साथ केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास और केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल के सभी वरिष्ठ सदस्य उपस्थित रहे।