Kargil Vijay Diwas : कारगिल विजय दिवस भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है, जिसे 26 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन को 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की विजय के रूप में याद किया जाता है। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा कारगिल की ऊंचाइयों पर किए गए अवैध कब्जे को सफलतापूर्वक हटाया था।
कारगिल युद्ध का पृष्ठभूमि
1999 की शुरुआत में, पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी समूहों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और कारगिल जिले में ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया। इसका उद्देश्य भारतीय सेना की सप्लाई लाइन को काटना और रणनीतिक लाभ हासिल करना था। पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन बद्र” का नाम दिया था।
भारतीय सेना ने इस घुसपैठ की सूचना मिलने के बाद “ऑपरेशन विजय” की शुरुआत की। यह ऑपरेशन भारतीय सेना और वायुसेना द्वारा संयुक्त रूप से चलाया गया, जिसमें 527 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी।
कारगिल विजय दिवस और उसकी महत्ता
26 जुलाई को “कारगिल विजय दिवस” के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय सेना की वीरता और बलिदान का प्रतीक है। इस दिन प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ भारतीय नागरिक भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस मौके पर कारगिल युद्ध स्मारक पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा
2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कारगिल युद्ध स्मारक का दौरा किया। उन्होंने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट वर्चुअली किया।
यह सुरंग परियोजना निमू-पदुम-दारचा रोड पर स्थित होगी, जो लगभग 15,800 फुट की ऊंचाई पर होगी और इसे विश्व की सबसे ऊंची सुरंग के रूप में जाना जाएगा। इस सुरंग के निर्माण से लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे सशस्त्र बलों और उपकरणों की शीघ्र आवाजाही सुनिश्चित होगी और लद्दाख क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना के साहस, संकल्प और बलिदान को सम्मानित करने का दिन है, जिसने देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा की।