भारतीय टीम के अनुभवी ऑफ स्पिनर Ravichandran Ashwin ने ब्रिस्बेन में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है।
ब्रिस्बेन टेस्ट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में अश्विन ने कहा:
“यह मेरा आखिरी साल होगा जब मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय क्रिकेटर के रूप में खेलूंगा। मुझे लगता है कि क्रिकेटर के तौर पर मुझमें अभी भी थोड़ा दमखम बाकी है, लेकिन अब मैं इसे क्लब स्तर पर दिखाना चाहूंगा। मैंने इस सफर का भरपूर आनंद लिया है। रोहित शर्मा और टीम के साथियों के साथ बिताए गए पल बेहद यादगार हैं।”
उन्होंने आगे कहा:
“हम [सीनियर खिलाड़ियों] का आखिरी समूह हैं, और इस सफर को यादगार बनाने में बीसीसीआई और साथी खिलाड़ियों का योगदान अहम रहा है। मैं सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं।”
टेस्ट करियर का शानदार सफर
अश्विन ने अपने 106 टेस्ट मैचों के करियर में 537 विकेट हासिल किए। वह भारत के दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने, जहां उनसे आगे सिर्फ अनिल कुंबले हैं, जिन्होंने 619 विकेट चटकाए थे।
अश्विन ने 24 के औसत से यह विकेट हासिल किए। इसके अलावा, उनके बल्ले से भी शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। उन्होंने 3503 टेस्ट रन बनाए, जिसमें 6 शतक और 14 अर्धशतक शामिल हैं। वह भारत के ऐसे ऑलराउंडर रहे जिन्होंने टेस्ट मैच में सबसे ज्यादा बार (4) शतक और 5 विकेट लेने का कारनामा किया।
वनडे और टी-20 करियर
अश्विन ने भारत के लिए 116 वनडे और 65 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले। वनडे में उन्होंने 156 विकेट लिए और बल्ले से 707 रन बनाए, जिसमें 65 उनका सर्वोच्च स्कोर है। वहीं, टी-20 में उन्होंने 72 विकेट और 184 रन बनाए।
उपलब्धियां और रिकॉर्ड
- टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 37 बार 5 विकेट लेने का कारनामा किया, जो शेन वॉर्न के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर है।
- उन्होंने 268 बाएं हाथ के बल्लेबाजों को आउट किया, जो एक विश्व रिकॉर्ड है।
- अश्विन ने मुथैया मुरलीधरन के बराबर 11 बार प्लेयर ऑफ द सीरीज का पुरस्कार जीता।
- वह 3000 से ज्यादा रन और 300 विकेट लेने वाले दुनिया के 11 ऑलराउंडरों में शामिल हैं।
अंतिम समय की चुनौतियां
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ एडिलेड टेस्ट में अश्विन ने 53 रन देकर 1 विकेट लिया था। पिछले घरेलू सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ उनका प्रदर्शन औसत रहा, जिसमें उन्होंने 41.22 की औसत से 9 विकेट चटकाए।
अश्विन का यह ऐलान ऐसे समय आया है जब वह नियमित रूप से विदेशी दौरों पर प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं बन पा रहे थे। उनके संन्यास के साथ भारतीय क्रिकेट का एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त हो गया है, लेकिन उनका नाम भारत के सबसे बड़े टेस्ट मैच विजेताओं में हमेशा अमर रहेगा।