विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान वहां के शीर्ष नेतृत्व को भारत की चिंताओं, खासकर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित बिंदुओं से अवगत कराया। उन्होंने सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनयिक संपत्तियों पर हमलों की कुछ खेदजनक घटनाओं को भी उठाया है।
भारत के विदेश सचिव मिस्री आज आधिकारिक यात्रा पर ढाका गए। उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात की। उन्होंने बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीम उद्दीन के साथ विदेश कार्यालय परामर्श (एफओसी) भी किया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार इन बैठकों के दौरान विदेश सचिव मिस्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने आपसी विश्वास और सम्मान तथा एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के प्रति आपसी संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ सकारात्मक और रचनात्मक संबंध बनाने की भारत की इच्छा को दोहराया।
विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में लोग मुख्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का विकास सहयोग और बांग्लादेश के साथ बहुआयामी जुड़ाव बांग्लादेश के लोगों के लाभ के लिए हैं।
मंत्रालय के अनुसार विदेश कार्यालय परामर्श के दौरान, दोनों पक्षों ने राजनीतिक और सुरक्षा मामलों, सीमा प्रबंधन, व्यापार, वाणिज्य और संपर्क, जल, बिजली और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग, विकास सहयोग, कांसुलरी, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंधों को कवर करने वाले कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया और बिम्सटेक ढांचे के तहत क्षेत्रीय एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए परामर्श और सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
मंत्रालय का कहना है कि विदेश सचिव की यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करेगी ताकि चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ संबंधों में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाया जा सके।