India global influence and partnerships: विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत आज दुनिया में अपने आर्थिक, राजनीतिक, प्रवासी और सांस्कृतिक पदचिह्न का लगातार विस्तार कर रहा है। इसमें हमारे व्यवसाय और प्रतिभा का योगदान नेतृत्व करने का रहा है। हालांकि पहल किसी की ओर से भी हो, हमारा लक्ष्य विदेश में टीम इंडिया के रूप में काम करना है।
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) पार्टनरशिप समिट 2024 में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि कई देश आज अधिक राष्ट्रवादी नीतियों की ओर लौट रहे हैं, साथ ही अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं पर भी ज़ोर दे रहे हैं। हालांकि, स्थापित वैश्वीकरण अब बदनाम हो चुका है लेकिन अभी भी नई सोच ने इसे अलग-थलग नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि हाल के वैश्विक अनुभवों से उपजी चिंताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता पर ला दिया है। प्रौद्योगिकी स्वयं एआई के साथ एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है। इस जटिल घटनाक्रम के कुछ पहलू अतीत की ओर लौट रहे हैं लेकिन अन्य भविष्य की ओर छलांग लगा रहे हैं। ऐसे में कूटनीति और व्यापार के लिए समान रूप से एक चुनौती होगी। एक साथ साझेदारी करके हम अपने लिए सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।
जयशंकर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व स्तर पर पांचवें स्थान पर पहुंच गई है और आगे बढ़ रही है। ऐसे में उसे और अधिक महत्वपूर्ण साझेदारियों की आवश्यकता है। दुनिया में हमारी हिस्सेदारी, जिम्मेदारियां और अपेक्षाएं अधिक हैं लेकिन वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति से अंतरराष्ट्रीय संबंधों का मामला मजबूत हुआ है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान आर्थिक परिदृश्य बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देना केवल केवल राष्ट्रीय स्तर तक सीमित नहीं हो सकता। भारत जितना अधिक चीजें लाएगा, हमारी अपील उतनी ही मजबूत होगी। हमारी क्षमताएं जितनी अधिक होंगी, हमारी क्षमताएं उतनी ही व्यापक होंगी, हमारी प्रतिभा जितनी अधिक नवीन होगी, हमारे कौशल उतने ही व्यापक होंगे, एक भागीदार के रूप में हम उतने ही अधिक आकर्षक होंगे।
जयशंकर ने कहा कि डिजिटल युग ने वास्तव में विश्वसनीय साझेदारी बनाने की बाध्यता को बढ़ा दिया है। दुनिया वैकल्पिक और अनावश्यक कनेक्टिविटी विकसित करने में अधिक रुचि देखती है। साझेदारी भी जनसांख्यिकीय चुनौतियों से अवगत हो रही है। भारत से ‘इन सोर्स’ नया मंत्र बन सकता है।