रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने बुधवार को नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में लगातार 10वीं बार बदलाव नहीं किया। आरबीआई ने रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा ।
इस फैसले से आपके लोन महंगे नहीं होंगे और ईएमआई भी नहीं बढ़ेगी। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के बाद इसकी घोषणा की।
आरबीआई गवर्नर ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नवनियुक्त एमपीसी ने बहुमत से नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी की बैठक में यह फैसला 5-1 की बहुमत से लिया गया। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया था।
शक्तिकांत दास ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने सामान्य मानसून के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अपना अनुमान बरकरार रखा है।
चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर भी 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है। रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर रखने का फैसला एमपीसी ने 5-1 से लिया है। केंद्र सरकार ने एक अक्टूबर को नई मौद्रिक नीति समिति में राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार सहित तीन नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की है। आरबीआई के एमपीसी में 6 सदस्य हैं, जिनमें केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास सहित तीन सदस्य हैं, जिनमें डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजीव रंज शामिल हैं।
क्या होता है नीतिगत दर यानी रेपो रेट
रेपो रेट वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक किसी भी तरह की कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसे उधार देता है। आरबीआई रेपो दर का उपयोग मौद्रिक प्राधिकरण मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए करते हैं।
उल्लेखनीय है कि अगस्त में हुई एमपीसी की बैठक में आरबीआई ने लगातार 10वीं बार नीतिगत दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर यथावत रखा। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार रेपो रेट में 0.25 फीसदी का इजाफा किया था, जो अभी 6.50 फीसदी पर है। कोविड-19 से पहले 6 फरवरी, 2020 को रेपो रेट 5.15 फीसदी पर था।