Growth of the Metal and Steel Industry : भारत में धातु और इस्पात उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका और दायरा निरंतर बढ़ता जा रहा है। इस उद्योग की प्रगति को और अधिक सशक्त बनाने के लिए मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह कदम छोटे निर्माताओं को भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बढ़ती संभावनाओं का लाभ दिलाने में सहायक होगा।
बुधवार को ‘एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम’ और ‘स्टार्ट अप एक्सेलेरेटर्स प्रेसेंट’ ने कोलकाता के एक पांच सितारा होटल में ‘मेटल कॉन्क्लेव’ नामक एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में धातु और इस्पात क्षेत्र की विभिन्न स्तरों की कंपनियों के अधिकारी शामिल हुए।
ज्ञात हो कि 2006 में भारत सरकार ने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज (एमएसएमई) विकास अधिनियम के तहत इस क्षेत्र के नियम-कानून लागू किए थे। ‘एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम’ के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट विभोर टंडन ने इस अवसर पर कहा कि देश के कुल जीडीपी का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा एमएसएमई से प्राप्त होता है। देश की बढ़ती जनसंख्या और विभिन्न प्रकार की सामग्रियों की मांग के साथ-साथ धातु और इस्पात उद्योग का महत्व भी तेजी से बढ़ रहा है।
टंडन ने कहा कि एमसीएक्स के ‘स्टैंडर्डाइजेशन एंड लिस्टिंग’ के बारे में कई लोगों की स्पष्ट समझ नहीं है। ‘एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम’ के लगभग 250 सदस्य और ‘स्टार्ट अप एक्सेलेरेटर्स’ के लगभग 800 सदस्यों को इस उद्योग के विभिन्न अज्ञात पहलुओं के बारे में जागरूक करना हमारा मुख्य उद्देश्य है।
इस कॉन्क्लेव में विभोर टंडन के अलावा चित्तरंजन रेगे, महेश अग्रवाल, टाटा स्टील के चीफ जनरल मैनेजर संजय बेहेरा भी शामिल हुए। चर्चा के दौरान कच्चे माल की कीमत, बिक्री मूल्य, तकनीकी बदलाव के साथ ‘रोल ऑफ रेगुलेटर्स’, ‘प्राइस मैकेनिज्म’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे सामने आए। ‘गोल्ड’, ‘सिल्वर’ और ‘ब्रॉन्ज’— इन तीन प्रकार की सर्टिफिकेशन और उनके नियमों के बारे में भी जानकारी दी गई। यह भी बताया गया कि इन प्रमाणपत्रों के आधार पर केंद्र सरकार से सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है। 20 निर्दिष्ट मानकों को पूरा करने पर ‘गोल्ड’ सर्टिफिकेशन प्रदान किया जाएगा।
‘धातु क्षेत्र में वित्तपोषण की भूमिका’ पर चर्चा में अभीक गुप्ता, ममता बिनानी, प्रज्ञा झुनझुनवाला आदि विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस चर्चा में जीएसटी जैसे वित्तीय और कर से संबंधित मुद्दों पर भी विचार किया गया। एक निजी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी इंद्रजीत घोष ने मंच पर संक्षिप्त भाषण दिया। चर्चा में विभिन्न बैंकों और निजी कंपनियों के शीर्ष प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।