New Criminal Laws : भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 नए कानून हैं जो पीड़ित को न्याय दिलाने पर केंद्रित हैं। ये नए कानून एक जुलाई से लागू होंगे और इनसे ब्रिटिश राज के औपनिवेशिक कानूनों का अंत हो जाएगा। हालांकि, 30 जून तक पुराने कानूनों के अनुसार ही मुकदमे दर्ज होंगे।
नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। छोटे अपराधों पर सजा के बजाय सामुदायिक सेवा पर जोर दिया गया है। नए कानून की मंशा तीन साल में न्याय दिलाने और लंबित मामलों को त्वरित निस्तारित करने पर है।
नए कानूनों के तहत किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज की जा सकेगी, जिसे बाद में संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। बुजुर्ग, दिव्यांग और तीन साल से कम सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी से पहले डीएसपी या ऊपर के रैंक के अधिकारी की अनुमति आवश्यक होगी। सात वर्ष से ऊपर सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य होंगे और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी मान्य होंगे।
बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। बच्चों से अपराध करवाना, आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध होगा। नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल होगी। नाबालिग से गैंगरेप पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा होगी। पीड़ित बच्चे का बयान उसके अभिभावक की उपस्थिति में दर्ज होगा।
महिला अपराधों में भी ज्यादा सख्ती बरती गई है। गैंगरेप में 20 साल की सजा, आजीवन कारावास का प्रावधान है। यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना अब अपराध माना जाएगा। पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज होगा।
नए कानूनों में तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। घटनास्थल की वीडियोग्राफी डिजिटल लॉकर में सुरक्षित की जाएगी। 90 दिन में शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत के तीन बाद थाने जाकर हस्ताक्षर किए जा सकेंगे।
60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे और मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन के भीतर निर्णय दिया जाएगा। डिजिटल एवं तकनीकी रिकॉर्ड दस्तावेजों में शामिल किए जाएंगे और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये न्यायालयों में पेशी हो सकेगी। सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य होगा।
छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य होगा। पहली बार अपराध करने पर हिरासत अवधि कम होगी और एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत मिल सकेगी।
ये कानून न्याय प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास करते हैं, जिससे पीड़ितों को त्वरित और सशक्त न्याय मिल सके।